Sunday, June 21, 2020

आखिर क्यों लगायी सुशांत सिंह ने फांसी। क्या था इसके पीछे का कारण?






14 जून 2020, वो दिन जब बॉलीवुड ने एक होनहार उभरता सितारा खो दिया। बांद्रा स्थित उनके घर में उनका शव फांसी के फंदे से लटका हुआ पाया गया। सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या की खबर ने बॉलीवुड को ही नहीं बल्कि पूरे दुनिया को असमंजस में डाल दिया है। हर कोई उनके इस उठाये गए कदम के पीछे का कारण जानना चाहता है। आखिर क्या चल रहा था उनकी ज़िंदगी में जो उन्हें अपनी ज़िंदगी को अलविदा कहना पड़ा।

तो आइये जानने की कोशिश करते है की आखिर क्यों उठाया उन्होंने ऐसा कदम। झांकते है उनकी ज़िंदगी में।



  • 6 महीनो से करा रहे थे        डिप्रेशन का इलाज़ 

सुशांत पिछले 6 महीने से डिप्रेशन का शिकार थे और उसका इलाज भी करवा रहे थे। उनकी निजी जिंदगी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा था। सुनने में यह भी आया है की उनके घरवाले कुछ दिन में उनसे मिलने भी आने वाले थे पर उससे पहले ही सुशांत इस दुनिया को अलविदा कह गए। 

  • सुशांत के साथ रहते थे 4 लोग 


सुशांत बांद्रा स्थित एक डुप्लेक्स फ्लैट में रहते थे।  उनका फ्लैट छठी मंजिल पर है। उनके घर में 3 नौकर है जिनमे से एक कुक और 2 अन्य हेल्पर है। उनके साथ उनका एक डिज़ाइनर दोस्त भी रहता है। 


  •  मरने से पहले किया था आखिरी कॉल



सुशांत ने आखिरी कॉल अपने करीबी दोस्त महेश कृष्ण शेट्टी को किया था। हलाकि की सुशांत से उनकी बात नहीं हो सकी, क्यूंकि उन्होंने फ़ोन नहीं उठाया था। पुलिस महेश से पूछताछ करेगी। पुलिस सुशांत का इलाज़ कर रहे डॉक्टर से भी पूछताछ करेगी। 

  • क्या हुआ था 14 जून की सुबह


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 14 जून की सुबह सुशांत 6 बजे ही उठ गए थे।  करीब साढ़े 9 बजे उनके नौकर ने उन्हें जूस दिया था।  इसके बाद वो करीब 10  बजे अपने कमरे में चले गए और बाहर नहीं निकले।  जब उनका नौकर खाने के लिए पूछने गया तो उन्होंने दरवाज़ा नहीं खोला।  बहुत कोशिश करने पर भी जब दरवाज़ा नहीं खुला तो चाबी वाले को बुलवाकर दरवाज़ा खुलवाया गया।  दरवाज़ा खुलते ही पंखे से लटकती हुई सुशांत की लाश दिखी जिसकी सुचना उनके नौकर ने तुरंत पुलिस को दी। 




  • भले ही आज सुशांत हमारे बीच नहीं है पर वह आज भी सबके दिलो पर राज करते है। उनकी अदाकारी और साधारणता को भुला पाना नामुनकिन है। कैसे एक इंसान अपनी हसी के पीछे इतना बड़ा दर्द छुपा लेता है, ये बात भी सुशांत हमे जाते जाते सीखा गए। 





 

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